लाइब्रेरी में जोड़ें

मेरी पावन शिव काशी




मेरी पावन शिव काशी


अभिलाषित सारी दुनिया है, बनने को काशी वासी;

काशी को सम्मानित करते,धार्मिकता के अभिलाषी;

जगती का सिरमौर बनी है, काशी की सारी धरती;

आत्मा-जीव मिलन का संगम, मेरी पावन शिव काशी।


मन में जब अभिलाषा उठती, बनने को काशी वासी;

मन में जब प्रत्याशा खिलती, मानव बनता प्रत्याशी;

मन के मोहक भाव सिंधु में, जब मानव हो डूब रहा;

सहज भाव से उसे बुलाती, मेरी पावन शिव काशी।


सकल लोक का नायक बनकर, जीते हैं काशी वासी;

नहीं किसी की चिंता करते, अपने पर ही विश्वासी;

नहीं प्रपंचों से मतलब है,मस्ती में सब झूम रहे;

महिमामण्डित सबको करती, मेरी पावन शिव काशी।


जो निराश मानव आता है,कल्पवास करने काशी;

वह मुमुक्ष बन रह जाता है,शिवशंकर का अभिलाषी;

मुक्त भाव से विचरण करता, गंग स्नान करता प्रति दिन;

बनी हुई है मोक्ष धाम यह, मेरी पावन शिव काशी।


नृत्य मयूरी जब करती है,बनने को काशी वासी;

भक्ति मोरिनी सहज ठुमुकती,जब काशी की अभिलाषी;

स्नेहिल भावों की छाया जब,मधु मिश्रित रस बरसाती;

वहीं खड़ी है बड़े प्रेम से, मेरी पावन शिव काशी।




   5
2 Comments

Sachin dev

06-Jan-2023 06:09 PM

OSm

Reply

Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:39 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

Reply