मेरी पावन शिव काशी
मेरी पावन शिव काशी
अभिलाषित सारी दुनिया है, बनने को काशी वासी;
काशी को सम्मानित करते,धार्मिकता के अभिलाषी;
जगती का सिरमौर बनी है, काशी की सारी धरती;
आत्मा-जीव मिलन का संगम, मेरी पावन शिव काशी।
मन में जब अभिलाषा उठती, बनने को काशी वासी;
मन में जब प्रत्याशा खिलती, मानव बनता प्रत्याशी;
मन के मोहक भाव सिंधु में, जब मानव हो डूब रहा;
सहज भाव से उसे बुलाती, मेरी पावन शिव काशी।
सकल लोक का नायक बनकर, जीते हैं काशी वासी;
नहीं किसी की चिंता करते, अपने पर ही विश्वासी;
नहीं प्रपंचों से मतलब है,मस्ती में सब झूम रहे;
महिमामण्डित सबको करती, मेरी पावन शिव काशी।
जो निराश मानव आता है,कल्पवास करने काशी;
वह मुमुक्ष बन रह जाता है,शिवशंकर का अभिलाषी;
मुक्त भाव से विचरण करता, गंग स्नान करता प्रति दिन;
बनी हुई है मोक्ष धाम यह, मेरी पावन शिव काशी।
नृत्य मयूरी जब करती है,बनने को काशी वासी;
भक्ति मोरिनी सहज ठुमुकती,जब काशी की अभिलाषी;
स्नेहिल भावों की छाया जब,मधु मिश्रित रस बरसाती;
वहीं खड़ी है बड़े प्रेम से, मेरी पावन शिव काशी।
Sachin dev
06-Jan-2023 06:09 PM
OSm
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Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:39 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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